महालय (Mahalaya) पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है और शारदीय नवरात्रि की शुरुआत से पहले मनाया जाता है। यह दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने और तर्पण करने के लिए विशेष माना जाता है। खासकर बंगाल में इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इसी दिन से दुर्गा पूजा की तैयारियाँ भी आरंभ हो जाती हैं।
महालय 2025 में रविवार, 21 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन पितृपक्ष के समाप्ति और मातृपक्ष के आरंभ का प्रतीक है, जो विशेष रूप से बंगाल, ओडिशा, त्रिपुरा, कर्नाटका और असम जैसे राज्यों में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
महालया का महत्व
महालया, पितृपक्ष के अंतिम दिन, पितरों को तर्पण और श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर है। यह दिन दुर्गा पूजा के आगमन का संकेत भी है, क्योंकि इसके साथ ही मातृपक्ष की शुरुआत होती है। बंगाल में, विशेष रूप से कोलकाता में, महालया के दिन "महिषासुर मर्दिनी" का प्रसारण रेडियो पर होता है, जो पूजा की शुरुआत का प्रतीक है।
2025 Hindu Calendar
महालया 2025 का समय
अमावस्या तिथि आरंभ: रात 12:15 बजे, 21 सितंबर 2025
अमावस्या तिथि समाप्ति: रात 1:25 बजे, 22 सितंबर 2025
इस समय के दौरान, विशेष रूप से गंगा नदी के किनारे, तर्पण और श्राद्ध अनुष्ठान किए जाते हैं।
तो आइए जानते हैं महालया के दिन की पूजा विधि और तर्पण प्रक्रिया:
महालया पर तर्पण और पूजा विधि (हिन्दू रीति अनुसार)
तैयारी:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो नदी, सरोवर या किसी पवित्र जलाशय में स्नान करें।
सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें।
एक पवित्र स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
जरूरी सामग्री:
काले तिल, जौ, कुशा घास
जल (तांबे के लोटे में)
अक्षत (चावल)
पुष्प (फूल)
पितरों के नाम का उच्चारण
भोज्य सामग्री (श्राद्ध हेतु)
तर्पण विधि:
संकल्प लें: "मैं अमुक गोत्र, अमुक नाम का व्यक्ति अपने पितरों को जल और तर्पण अर्पित करता हूँ।"
पितरों के लिए तिल, जल, पुष्प और अक्षत मिलाकर तर्पण करें (तीन बार जल अर्पण करें)।
पितरों के नाम (यदि ज्ञात हों) लें: "पिता, पितामह, प्रपितामह" और "माता, मातामही, प्रमातामही" के नाम से।
अंत में ब्राह्मण भोजन या ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा दें।
कुछ खास बातें:
यह दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है।
इस दिन कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता।
घर में सादगी और संयम रखा जाता है।
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